बैंकर की बक बक
रविवार, 1 जून 2014
बड़े चलो
आज मै खुद के पैरों पर जो खड़ा हु,
थमना नही, येही सोच आगे बड़ा हु,
चाहां है सारा जहां अपनी मुठी में,
सपनो को अब हकीकत करने चला हु।
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